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भारतीय थल सेना दिवस कब मनाया जाता है ?

भारतीय थल सेना दिवस प्रतिवर्ष 15 जनवरी को मनाया जाता है।

15 जनवरी को थल सेना दिवस इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन यानी 15 जनवरी सन 1949 को भारत के प्रथम फील्ड मार्शल केएम करियप्पा को थल सेना प्रमुख बनाया गया था।
 
भारतीय थल सेना की स्थापना 1 अप्रैल 1895 को हुई थी।

वर्तमान में भारतीय थल सी अध्यक्ष जनरल मनोज पांडे जी हैं।

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जेट-प्रवाह ( Jet Streams ) क्या है

जेट-प्रवाह अथवा जेट धारायें  का अंग्रेजी रूपान्तरण जेट स्ट्रीम ( Jet Streams )   कहलाता हैं। मुख्य रूप से  क्षोभमण्डल ( Troposphere ) के ऊपरी परत यानि समतापमण्डल ( Stratosphere ) में बहुत ही तीब्र गति से चलने  वाली नलिकाकार, संकरी पवन- प्रवाह अथवा वायु  प्रणाली को जेट-प्रवाह कहते हैं। चूकि विमानों के उड़ान में यह मण्डल सहायक होता  है , इसलिए इसका नाम Jet Streams  दिया गया है |    ➽     ये जेट-प्रवाह चक्रवातों ( Cyclones )  ,  प्रतिचक्रवातों ( Anticyclones ) , तुफानों ( Storms ) , वायुमण्डलीय विक्षोभों ( Atmospheric disturbances )  और वर्षा उत्पन करने में सहायक होती हैं। यानि ये हवायें धरातलीय मौसम को प्रभावित करती हैं |    ➽     ये हवायें सामान्यतः  पश्चिम से पूरब की ओर प्रवाहित होती हैं और यह  ऊपरी वायुमंडल में ये  7  से 12 किमी की ऊच्चाई पर होती हैं। ( नोट - अलग अलग किताबों में यह डाटा अलग अलग दिया गया है | )    ➽      भारत के परिप्रेक्ष्य में मुख्य रूप से दो तरह की जेट प्रवाह पाई जाती है - ➤  पश्चिमी जेट प्रवाह ( Western Jet Streams ) ➤  पूर्वी जेट प्रवाह ( Eastern Je

जल रंगहीन , गंधहीन एवं स्वादहीन क्यों होता है ?

जल का अणु एक ऑक्सीजन और दो हाइड्रोजन के परमाणुओं से मिलकर बना होता है ( यानि H2O ) । ✓ सामान्यता किसी पदार्थ का रंग , गंध एवं स्वाद उस पदार्थ के pH या pOH पर निर्भर करता है।  यानी कि किसी पदार्थ के जल अपघटन के पश्चात H+ आयन की मात्रा कितनी है या OH- आयन की मात्रा कितनी है , इस बात पर निर्भर करता है। यदि पदार्थ के पास हाइड्रोजन आयन की मात्रा यानी उसकी सांद्रता ज्यादा है तो उसका स्वाद खट्टा होता है और यदि किसी पदार्थ के पास OH- आयन की सांद्रता ज्यादा है तो उसका स्वाद कड़वा होता है और यदि उस पदार्थ में हाइड्रोजन आयन और OH- आयन की सांद्रता बराबर है तो वह पदार्थ स्वादहीन होता है। जल के अणु के पास एक H+ और एक OH- होता है जिसके कारण ही जल स्वादहीन ,रंगहीन एवं गंधहीन होता है। H2O = H+  + OH-

कबीर दास की जीवन यात्रा

कबीर दास भक्तिकाल के उत्तम कवि और सन्त थे। वे हिन्दी साहित्य के निर्गुण धारा के ज्ञानाश्रयी काव्य के प्रवर्तक माने जाते हैं। इनका जन्म सन 1398 ई० में काशी में हुआ था।  इनके जन्म के विषय में यह कहा जाता है कि इनका जन्म स्वामी रामानन्द के आशीर्वाद से एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से हुआ था जो लोक-लाज के डर से इन्हें एक तालाब के पास फेंक आई। संयोगवश एक जुलाहा दम्पति को ये मिले और उन्होंने ही इनका पालन-पोषण  आदि किया। कबीर दास जी की शिक्षा का उचित ढ़ंग से  न हो सकी। ये  कपड़े बुनने के काम में लग गये और जीविकोपार्जन के लिए कबीर जुलाहे का काम करने लगे। इसके साथ ही साथ साधु संगति और ईश्वर भजन चिंतन में भी लगे रहते थे। इनका विवाह 'लोयी' नाम के  स्त्री से हुआ था।  कबीर के गुरु के सम्बन्ध में यह कहा जाता  है कि कबीर को अच्छे गुरु की तलाश थी। वह वैष्णव संत आचार्य रामानंद को अपना अपना गुरु बनाना चाहते थे लेकिन उन्होंने कबीर को शिष्य बनाने से मना कर दिया लेकिन कबीर ने अपने मन में ठान लिया कि स्वामी रामानंद को ही हर कीमत पर अपना गुरु बनाऊंगा । इसके लिए कबीर के मन में एक विचार आया कि